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प्रतीकात्मक प्रसिद्धि की चाहत

Celebrity Writer
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मनुष्य ने जब से मौत के बारे में जाना है तभी से उसमें अमरता की आकांक्षा की भी विद्यमान है। कोई आश्चर्य नहीं कि युगों-युगों से हमारे नायक इसलिए अपने जीवन का बलिदान देते आ रहे हैं ताकि वे हमेशा याद रखे जाएं। अमरता पाने की सबसे पसंदीदा राहों में से एक है प्रसिद्धि। भले ही इसका प्रतीकात्मक महत्व ही हो, लेकिन यदि आप मशहूर हो गए तो आपका नाम लंबे समय तक याद रखा जाएगा। एक बुजुर्ग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहते हैं कि आज के युवाओं में भगत सिंह और हेमंत करकरे की राह पर चलकर अमरता पाने की चाहत खत्म हो गई है। अब वे एक सेलिब्रिटी बनकर अपना नाम अमर बनाना चाहते हैं।


इसमें कोई संदेह नहीं कि मनोरंजन की आज की दुनिया में सेलिब्रिटी नए अवतार की तरह हैं। वह अन्य लोगों की तुलना में लोगों के जेहन में ज्यादा समय तक रह सकते हैं। एक वरिष्ठ मीडिया विश्लेषक की राय है-पहले के दिनों में किसी को प्रसिद्ध होने के लिए कुछ न कुछ असाधारण करना होता था, लेकिन आज आपको बस एक रियलिटी शो में जगह बनाने भर की देर है और देखते-देखते आपका नाम घर-घर तक पहुंच जाएगा। सच है कि हाल के वर्षो में टीवी रियलिटी शो के उदय ने टेलीविजन का चेहरा ही बदलकर रख दिया है। कौन बनेगा करोड़पति, बिग बॉस, इंडियन आयडल, सारेगामा आदि की गिनती पिछले कुछ वर्षो में सर्वाधिक पसंदीदा टीवी कार्यक्रमों में की जाएगी। लगभग सभी राष्ट्रीय ब्राडकास्ट नेटवर्क के पास प्राइम टाइम में दर्शकों को दिखाने के लिए कम से कम एक रियलिटी शो है। रियलिटी टीवी का ध्यान ही एक सामान्य चेहरे को देवताओं की श्रेणी में ला खड़ा करने पर टिका होता है। यह प्रक्रिया आम तौर पर दर्शकों की निगाह से छिपी रहती है। हम उस प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं जिसने शाहरुख खान और कैटरीना कैफ को सेलिब्रिटी में तब्दील किया। हम तो केवल नतीजा देख पाते हैं जिसमें एक साधारण व्यक्ति ईश्वरीय अवतार सरीखा हो जाता है। वास्तव में हमारी संस्कृति इस रूपांतरण के प्रति आसक्त रही है। हम चमत्कार होते देखना चाहते हैं। टीवी रियलिटी शो की सफलता एक व्यक्ति के सामान्य से ईश्वरीय अवतार में जादुई रूपांतरण की प्रक्रिया पर आधारित होती है और?इसके लिए?हरसंभव प्रयास किए जाते है।


पहली नजर में यह बड़ा अजीब लगता है कि किसी सेलिब्रिटी का प्रतीकात्मक अमरता की चाहत से कोई लेना-देना है, लेकिन सच्चाई यह है कि सेलिब्रिटी को विशेष मकसद से जोड़ा जाता है। हजारों-लाखों लोग आगे भी देखते रहेंगे कि किस तरह कोई साधारण व्यक्ति अपनी सफलता के साथ भगवान का दर्जा पा लेता है। वे यह उम्मीद भी करते रहेंगे कि एक दिन वे भी इसी तरह अमर हो जाएंगे। प्रशंसक उसी तरह सेलिब्रिटी को देखना-छूना चाहते हैं जैसे श्रद्धालु अपने भगवान अथवा किसी संत को देखना-छूना चाहते हैं। सेलिब्रिटी को विशेष शक्तियों के साथ जोड़ा जाता है-भले ही यह सामान्यतया आर्थिक रूप से हो। सलमान खान और आमिर खान का नाम किसी फिल्म के लिए बिक्री का मुख्य बिंदु बन जाता है। वे है तो फिल्म अथवा किसी शो की सफलता काफी कुछ सुनिश्चित हो जाती है। इन बॉलीवुड मेगास्टारों को इसीलिए करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है और अक्सर मुनाफे में भी उनका हिस्सा शामिल होता है। इससे यह आसानी से समझा जा सकता है कि ऐसे सितारों का नाम किसी फिल्म की सफलता के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है।


भौतिक पदार्थो के अर्जन के साथ ही हम गौरव की लालसा करने लगते हैं। हम महत्वपूर्ण होना चाहते हैं और एक बार महत्वपूर्ण हो जाने के बाद हमारे अंदर अमरता की चाहत आ जाती है। आज हम जिन्हें सेलिब्रिटी के रूप में देख रहे हैं उनके साथ विडंबना यह है कि उनकी प्रतिष्ठा अल्पकालिक होती है। 15 मिनट के शो के दौरान कोई व्यक्ति सेलिब्रिटी बन जाता है, लेकिन ऐसी प्रसिद्धि शो की समाप्ति के साथ ही गायब हो जाती है। लंबे समय तक टिकने वाली प्रसिद्धि के लिए यह जरूरी होता है कि ब्रांड मैनेजमेंट बहुत ही सतर्कता के साथ किया जाए। अभिनेताओं के लिए इसका अर्थ यह है कि उन्हें सफल फिल्मों में भूमिकाएं मिलना जारी रहे।


प्रसिद्धि के साथ समय का भी नाता होता है। समय अक्सर बड़ा निर्दयी सिद्ध होता है।?खिलाड़ियों से बेहतर इसे कौन जानता होगा? वे अपनी कहानियां सुनाते मिल जाएंगे कि खेल के दिन उनके लिए कैसे थे और कुछ वर्ष बीत जाने के बाद वे कैसा महसूस करते है। खिलाड़ियों को समय की क्रूरता का जितना अहसास होता है, उससे ज्यादा इसका अनुभव फैशन मॉडल और फिल्म तथा टीवी सितारों को होता है। प्रसिद्धि कितनी भी भ्रामक क्यों न हो, यह हमारे आगे अपनी शक्ति इस वायदे के साथ बनाए रखती है कि हम अ-महत्वपूर्ण होने के भय से खुद को बचाए रख सकते है और इस तरह हम खुद अपनी आंखों में अपने आपको कीमती बनाए रखते है। प्रसिद्धि का मतलब है, लेकिन हर चीज की तरह इसका भी अंत निश्चित होता है। अपनी बात के साथ मैं एक छवि छोड़ना चाहता हूं जो कुछ शब्दों के रूप में है। यह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानियों से लड़ते हुए शहीद होने वाले एक नगा सैनिक की कोहिमा में कब्र पर लिखा संदेश है-कोई जीवन महत्वपूर्ण नहीं है, सिवाय इसके कि उसने दूसरों के जीवन पर क्या प्रभाव डाला?

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